बॉम्बे हाईकोर्ट ने एमपीजे को राहत दी, वंचित बच्चों को सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा मिलेगी
मुंबई: शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत वंचित वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिलाने की लड़ाई में मुव्हमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) को बड़ी राहत मिली है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज एमपीजे की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार द्वारा किए गए आरटीई नियमों में संशोधन पर अंतरिम रोक लगा दी है।
सरकार के संशोधन ने सरकारी अथवा सहायता प्राप्त स्कूलों के एक किलोमीटर के दायरे में स्थित निजी स्कूलों को गरीब और वंचित बच्चों के लिए आरक्षित 25% सीटों पर मुफ्त शिक्षा हेतु प्रवेश देने से छूट दे दी थी। एमपीजे ने इस छूट नीति को अदालत में, यह तर्क देते हुए चुनौती दी थी कि यह शिक्षा में असमानता को बढ़ाएगी और आरटीई अधिनियम के उद्देश्यों का उल्लंघन करेगी।
अदालत के इस आदेश का मतलब है कि सरकार की छूट नीति फिलहाल लागू नहीं होगी और वंचित बच्चों को सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा का अधिकार मिलता रहेगा।
एमपीजे के अध्यक्ष मोहम्मद सिराज ने इस फैसले को “आशा की किरण” बताया और कहा कि यह सभी बच्चों के लिए समान शिक्षा के अधिकार को मज़बूत करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अदालत अंततः एमपीजे के पक्ष में फैसला सुनाएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि सभी बच्चों को, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, समावेशी, समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।
शिक्षा कार्यकर्ताओं का मानना है कि बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसला शिक्षा के अधिकार के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है और यह महाराष्ट्र में शिक्षा प्रणाली को अधिक न्यायसंगत बनाने में मदद करेगा। यह फैसला निजी स्कूलों के लिए एक झटका माना जा रहा है, जिनमें से कई आरटीई के तहत ग़रीब बच्चों को प्रवेश देने का विरोध करते रहे हैं।
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