हिंदू-मुस्लिम एकता से ही देश की एकता और अखंडता होगी मजबूत
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के वरिष्ठ मार्गदर्शक डॉ. इंद्रेश कुमार ने दिया मार्गदर्शन
पुणे न्यूज एक्सप्रेस :
पुणे: देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए हिंदू-मुस्लिम एकता को और अधिक सशक्त करने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा पुणे में एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें संगठन के वरिष्ठ मार्गदर्शक डॉ. इंद्रेश कुमार ने अपने विचार व्यक्त किए।
इस संगोष्ठी का मुख्य विषय “मुस्लिम समाज: अतीत, वर्तमान और भविष्य” था, जिसमें मुस्लिम समाज की आस्था, सामाजिक स्थिति और प्रशासनिक भागीदारी पर विस्तृत चर्चा हुई। कार्यक्रम का आयोजन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, पश्चिम महाराष्ट्र प्रभाग द्वारा तिलक रोड स्थित एमसीसीआईए हॉल, पुणे में किया गया।
इस संगोष्ठी में राष्ट्रीय संयोजक श्री इरफान अली पीरजादे, श्री जावेद अंसारी, डॉ. आफताब अनवर शेख, श्री ताहिर आसी, श्री जावेद शेख, श्री राजीव सोनुने और डॉ. तस्नीम पटेल सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। इनके साथ ही, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कई पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में कार्यकर्ता कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
गंगा-जमुनी तहज़ीब ही भारत की पहचान
अपने संबोधन में डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब, आपसी भाईचारा और धार्मिक सहिष्णुता ही इसकी असली पहचान है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म का पालन करने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए, लेकिन अन्य धर्मों और आस्थाओं का समान रूप से सम्मान भी किया जाना चाहिए। उन्होंने राजनीतिक और धार्मिक नेताओं से समाज में सौहार्द का वातावरण तैयार करने का आग्रह किया, ताकि नफरत और वैमनस्य को समाप्त किया जा सके।
हिंसा और नफरत से दूर रहकर सौहार्द को अपनाएं
डॉ. इंद्रेश कुमार ने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे हिंसा, आगजनी और नफरत फैलाने वाली गतिविधियों से दूर रहें। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से जरूरतमंदों की सहायता करने वाला देश रहा है, और हमें इस परंपरा को बनाए रखना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि देश की असली पहचान केवल आर्थिक और तकनीकी प्रगति से नहीं, बल्कि आपसी प्रेम, भाईचारे और सामाजिक सौहार्द से भी होती है। इसे बनाए रखना हर नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है।
समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का आह्वान
डॉ. इंद्रेश कुमार ने अपने समापन वक्तव्य में कहा कि भारत की सांस्कृतिक विविधता इसकी सबसे बड़ी शक्ति है, और इस शक्ति को बनाए रखने के लिए समाज में प्रेम, सौहार्द और एकता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने सभी नागरिकों से देश में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एकजुट होकर कार्य करने और भारत को एक सौहार्दपूर्ण राष्ट्र के रूप में स्थापित
करने का आह्वान किया।

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