कल्याण हाजी मलंग पहाड पर हो रहा मुसलिम अत्याचार पर सब मिडीया खामोश और कानुन के लडाई लडने वाले आगे नही आ रहे हैं
Kalyan haji malang pahar ho raha all media is silent on Muslim atrocities and law fighters are not coming forward.
पुणे न्यूज एक्सप्रेस :
देश आजाद होने से पहले से कई वर्षो से इस पहाड़ी पर सदियों से पथतर मटी चट्टान के मकान बना के रहने वाले रह रहे हाजी मलंग दरगाह के पास ऊँचाई पहाड पे पीढ़ियों से पीढ़ीयाँ यंहा रह रहे गरीब मुसलिम गरीब परीवार रहीवासी विक्रेता के आधिकारी सूबहा सुबहा पहुंचे और कई घर इमारतें होटल दुकानें और रेस्तरां को तोड दिए ध्वस्त किए सब ढहाई गईं;स्थानीय लोगों के अनुसार,अप्सरा होटल से लेकर अन्य संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया गया।
सभी स्थानीय लोग और विक्रेता गरीब हैं और पीढ़ियों से पीढ़ीयां यहां रह रहे हैं।उनके पास सब पेपर होने के बाद भी कोई सुनवाई नही स्थानीय लोग अपनी आजीविका के लिए पर्यटन पर निर्भर हैं,उनके लिए बहुत मुश्किल काम है। उन्हें पीने योग्य पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है,भीषण गर्मी के महीनों में तो हालात जनावर जैसी हो जाती है इस पहाड़ी पर कोई उचित अस्पताल, स्कूल या एम्बुलेंस भी नहीं है। फिर भी वह रह रहे थे सरकार ने कभी यहां कोई मदद नही कि पर कई स्मस्यां से जुझ रहे गरीब लोग पर बडी आफात आ गई घर से बे घर हुए लोगो कि सर से छत उड गई लोग सडक पर गुजारा कर रहे हैं कोई होता इनकी मदद करने वाला नहीं कोई इनकी सूनने वाला नही उपर से भारी बारीश मे उनको ऊजडा जा रहा है यह सरकार भी गरीबों कि सरकार नही गरीबों को उजाड़ने वाली सरकार हैं *नेता और राजनेता वोट पाने के लिए कई खेल खेलना चाहते हैं। किसी को भी वास्तव में इसकी परवाह नहीं है कि आम लोग आम नागरीक क्या चाहते हैं।”उनकी भावना क्या है।
🙏 *हाजी इश्तियाक जागीरदार*
Haji Ishtiyaque Jagirdar
(*National President of Human Rights Anti Crime Committee and NCP National General Secretary of Minority Department and Editor of Hindi Newspaper Suchana ka Adhikar Times)
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हाजी मलंग के “इस पहाड़ी पर सदियों से हिंदू और मुसलमान सद्भावनापूर्वक रहते आए हैं। एक साथ त्यौहार मनाते हैं और ज़रूरत के समय एक-दूसरे की मदद करते हैं।” वह कहते हैं “कोई भी हमारे साथ खड़ा नहीं है – तो फिर हम आपस में क्यों लड़ेंगे?” लडाने का काम यह सब बाहेर के लोग आकर यंहा करते है अब हम समज गए हैं इस लिए बाहेर के लोगो कि बात पर हम ध्यान नहीं देते.मेहनत मजुरी करते हैं आपने परीवार के लिए. हम करीब करीब 4,000 से 5000 लोग यहां रहते हैं, जिनमें हिंदू और मुसलमान दोनों शामिल हैं। हम अपनी आजीविका पर्यटन पर निर्भर हैं,बहुत मुश्किल काम है। पर उपर वाला चला रहा है हमारे जीवन मे उपर वाले के सिवा कोई नहीं. हमारी मदद के अभी तक आज तक कोई आगे नही आए
मुख्य संपादक : मेहबूब सर्जेखान . संपर्क : 9503293636